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2 comments

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hamzaali said:
great
posted hace más de un año.
 
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05061996 said:
काली सी अॅधेरी रातोॅ मेॅ मै हर पल सोॅचा करता था ये झिलमिल रातेॅ बीतेगी एक नया सवेरा आयेगा तब मै अपने दोनो कदम मंजिल की ओर बढाऊंगा कुछ ऐसा कर के दिखाऊंगा एक खुद की पहचान बनाऊंगा मंजिल मैंने तय कर ली रुकावट को आ गयी एक परी उसने क्या जादू सा चलाया बस मैं तो खिचा सा चला आया प्यार से दो -तीन लफ्ज सुनाए हम तो कुछ कह भी न पाये मंजिल तो हम भूल गये थे बस उसकी यादों का साया था क्या कर रहे हम क्या करके हम को दिखाना था उसको तो जादू आता था हम ठहरे इंसान हमारा क्या फसाना था जादू से वो गायब हो गयी सारे अरमान तोड़ दिये कदम रखे दो नाॅव पर बीच मझदार मे डूब गये।

By abhinay tandan
posted hace más de un año.
last edited hace más de un año